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अटल के 25 साल बाद मोदी RSS के अंगने में: दो प्रधानमंत्रियों के दौरे के बीच कितना कुछ बदल चुका है?

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मार्च 2025 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मुख्यालय का दौरा किया, जो कि 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी के दौरे के बाद से किसी भी सक्रिय प्रधानमंत्री का पहला दौरा है। यह 25 साल का अंतर भारत के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलावों को दर्शाता है।

अटल बिहारी वाजपेयी का दौरा (2000)

  • वाजपेयी के कार्यकाल में RSS को भाजपा का समर्थन करने वाला एक मजबूत आधार माना जाता था।
  • उनका दौरा एकता और राष्ट्रीय पहचान की आवश्यकता पर केंद्रित था, जो उस समय पार्टी के मध्यमार्गी दृष्टिकोण को दर्शाता है।

नरेंद्र मोदी का दौरा (2025)

  • मोदी का दौरा उस समय हुआ जब भाजपा ने खुद को एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित कर लिया है।
  • मोदी ने RSS को “भारत की संस्कृति का वट वृक्ष” बताया, जो एक अधिक आक्रामक और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है।

मुख्य अंतर और प्रभाव

  1. राजनीतिक संदर्भ: वाजपेयी का युग गठबंधन राजनीति से भरा था, जबकि मोदी का नेतृत्व अधिक केंद्रीकृत है।
  2. RSS की भूमिका: RSS अब नीति और राजनीतिक दिशा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है।
  3. जनता की धारणा: मोदी का दौरा भाजपा और RSS के बीच एकजुटता को मजबूत करता है।
  4. विकास पर ध्यान: मोदी का दृष्टिकोण बड़े पैमाने पर परियोजनाओं और परिवर्तनकारी बदलाव पर केंद्रित है।

वाजपेयी और मोदी के RSS दौरे के बीच 25 वर्षों का अंतर भारतीय राजनीति में एक गहरा परिवर्तन दर्शाता है। मोदी का RSS के साथ संरेखण यह संकेत देता है कि संगठन का प्रभाव भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण बना रहेगा।

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